विदेश मंत्रालय,नई दिल्ली, ने रूस से भारत के तेल आयात का बचाव किया; अमेरिका और यूरोपीय संघ की आलोचना को अनुचित और अविवेकपूर्ण बताया..

नई दिल्ली ने रूस से भारत के तेल आयात का बचाव किया; अमेरिका और यूरोपीय संघ की आलोचना को अनुचित और अविवेकपूर्ण बताया।



विदेश मंत्रायलय द्वारा एक  वक्तव्य जारी  कर बताया गया कि, संघर्ष शुरू होने के बाद से रूस से तेल आयात करने के कारण भारत को अमेरिका और यूरोपीय संघ ने निशाना बनाया है। दरअसल, भारत ने रूस से आयात इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी। उस समय अमेरिका ने वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों की स्थिरता को मज़बूत करने के लिए भारत द्वारा ऐसे आयातों को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था।

2. भारत के आयात का उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अनुमानित और किफायती ऊर्जा लागत सुनिश्चित करना है। वैश्विक बाज़ार की स्थिति के कारण ये एक अनिवार्य आवश्यकता है। हालाँकि, यह उजागर होता है कि भारत की आलोचना करने वाले वही देश स्वयं रूस के साथ व्यापार में लिप्त हैं। हमारे मामले के विपरीत, ऐसा व्यापार कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बाध्यता भी नहीं है।

3. 2024 में यूरोपीय संघ का रूस के साथ वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 67.5 बिलियन यूरो था। इसके अलावा, 2023 में सेवाओं का व्यापार 17.2 बिलियन यूरो होने का अनुमान है। यह उस वर्ष या उसके बाद रूस के साथ भारत के कुल व्यापार से काफ़ी अधिक है।  वास्तव में, 2024 में यूरोपीय एलएनजी आयात रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन तक पहुँच गया, जो 2022 के 15.21 मिलियन टन के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया।

4. यूरोप-रूस व्यापार में न केवल ऊर्जा, बल्कि उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा और इस्पात, मशीनरी और परिवहन उपकरण भी शामिल हैं।

5. जहाँ तक संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रश्न है, वह अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपने ईवी उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरकों के साथ-साथ रसायनों का भी आयात जारी रखे हुए है।

6. इस पृष्ठभूमि में, भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है। किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा।


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