-उज्जैन को धार्मिक नगरी कहा जाता है। यहां कई ऐसे देवी देवता विराजमान हैं जिनके अलग-अलग महत्व है। एक ऐसा ही मंदिर उज्जैन से विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल से 3 किलोमीटर की दूरी पर है। अवंतिका खंड में भी इस मंदिर का उल्लेख किया गया है यह मंदिर नीलगंगा के समीप मंशामन गणेश के नाम से प्रसिद्ध है, यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। यहां भगवान मंछामन गणेश, रिद्धि सिद्धि के साथ यहां पर विराजित है।
शहर के प्राचीन मंदिरों में गऊघाट क्षेत्र में स्थित मंछामन गणेश है। मंदिर में श्रीगणेश के साथ रिद्धि - सिद्धि भी विराजित हैं। हर बुधवार को यहां भक्तो का तांता लगता है। मंछामन के दर्शन से मनोकामना पूरी होती है। यह मंदिर अति प्राचीन है। जिसकी छत में गणेश यंत्र स्थापित है। इस कारण सिद्ध विनायक हैं। यहां गणेशजी से संबंधित सभी अनुष्ठान किए जाते है। मंदिर के विकास कार्य के लिए महापौर और जनप्रतिनिधि समेत भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। भूमि स्वामी यहां किसी तरह का सुधार और निर्माण आदि को लेकर तैयार नहीं। नीलगंगा क्षेत्र में जो मंछामन मंदिर है वह उपेक्षित है और इसका विकास नहीं हो पा रहा है जबकि यहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने जाते हैं। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के बैठने के लिए वर्षों पहले कुर्सियां लगवाई गई थी, यह भी अब टूट गई है। इसके अलावा परिसर में बने शेड तथा ओटले भी टूट गए हैं। मंदिर परिसर के प्राचीन बावड़ी की सफाई भी वर्षों से नहीं हुई है। इसे लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और महापौर भी यहां नए सिरे से जीर्णोद्धार के लिए तैयार हैं। यह प्राचीन मंदिर जिस भूमि पर स्थित है उसके भूमि स्वामी यहां किसी तरह का सुधार और निर्माण आदि को लेकर तैयार नहीं है। यही कारण है कि सदियों पुराने मंछामन गणेश मंदिर परिसर में अव्यवस्थाएं लगातार बढ़ रही है और चाह कर भी जनप्रतिनिधि यहां सुधार कार्य नहीं करा पा रहे हैं। इस मामले में जब महपौर मुकेश टटवाल से बात कि गई तो
उनका कहना है कि मंछामन मंदिर के सामने बावड़ी बनी हुई है। मध्यप्रदेश सरकार की जल गंगा संवर्धन अभियान के अन्तर्गत उसका नगर निगम के माध्यम से साफ-सफाई एवं पक्का निर्माण कार्य करना चाहते है लेकिन वह किसी की निजी संपत्ति है। इसको लेकर हमने संबंधित व्यक्ति को नोटिस भेजा है।
उज्जैन से एनकाउंटर न्यूज की रिपोर्ट।
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