सेक्स वर्कर्स को 'अपराधी' नहीं 'पीड़िता' माना जाए, महिला सुरक्षा शाखा का निर्देश
05-04-2025 - भोपाल से एक बड़ा और संवेदनशील आदेश जारी हुआ है, जो एक तरफ तो महिला अधिकारों और मानव गरिमा की रक्षा की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर अवैध काम करने वाली महिलाओं और युवतियों को कुछ भी करने की खुली छूट दे रहा है। पुलिस मुख्यालय, भोपाल की महिला सुरक्षा शाखा ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों, पुलिस आयुक्तों और रेल पुलिस को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम के मामलों में महिला पीड़िताओं को आरोपी न बनाया जाए।
भोपाल , आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे निर्देश की जो महिलाओं के अधिकारों को नई मजबूती देता है। सेक्स वर्क को लेकर समाज में भले ही पूर्वाग्रह हों, लेकिन अब कानून साफ कहता है कि सेक्स वर्कर अपराधी नहीं, पीड़िता हैं। महिला सुरक्षा शाखा, पुलिस मुख्यालय भोपाल ने अपने परिपत्र के तहत सभी पुलिस इकाइयों को एक अहम आदेश जारी किया है। यह निर्देश इस पृष्ठभूमि में आया है कि कई जिलों में होटल और ढाबों को वैश्यालय के रूप में चलाने वाले संचालकों के खिलाफ तो कार्रवाई होती है, लेकिन सेक्स वर्क में शामिल महिलाओं को भी आरोपी बना दिया जाता है। पुलिस मुख्यालय ने इसे अन्यायपूर्ण मानते हुए साफ किया है कि सेक्स वर्क स्वैच्छिक हो तो उसे अवैध नहीं माना जाएगा। केवल वैश्यालय चलाना कानून के तहत अपराध है।
FOR VIDEO NEWS CLICK THE BLUE LINKआदेश में साफ है कि सेक्स वर्कर को न तो गिरफ्तार किया जाए, न दंडित, और न ही मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाए। आदेश में यह भी लिखा है कि उन्हें पीड़िता या शोषित मानकर ही कार्रवाई की जाए। इस आदेश में वर्ष 2010 की सुप्रीम कोर्ट की ऐतिहासिक टिप्पणी का हवाला भी दिया गया है। बुद्धदेव कर्मास्कर बनाम पश्चिम बंगाल राज्य केस में कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सेक्स वर्क को अपराध की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। महिला सुरक्षा शाखा की विशेष पुलिस महानिदेशक प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने निर्देश दिए हैं कि पुलिस इस आदेश का सख्ती से पालन करे और सुनिश्चित करे कि भविष्य में किसी भी सेक्स वर्कर को आरोपी बनाकर न्यायिक प्रक्रिया में नहीं घसीटा जाए।
यह परिपत्र सभी पुलिस आयुक्त, समस्त जिलों और रेल पुलिस अधीक्षकों के साथ-साथ जोन स्तर के अधिकारियों को भी भेजा गया है, ताकि इसका पालन राज्यव्यापी हो। तो क्या आप मानते हैं कि यह कदम सेक्स वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा करेगा? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं।
सेक्स वर्कर्स को ’अपराधी’ नहीं ’पीड़िता’ माना जाए , महिला सुरक्षा शाखा का निर्देश , होटल-ढाबों के संचालक बना रहे हैं वैश्यालय , सुप्रीम कोर्ट का आदेश, स्वैच्छिक सेक्सवर्क अवैध नहीं ...
इंदौर से एनकाउंटर न्यूज की रिपोर्ट।
0 Comments